कबीर दास जी के दोहे

255 भाग

88 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

कबीर क्षुधा कूकरी, करत भजन में भंग  वाकूं टुकड़ा डारि के, सुमिरन करूं सुरंग।।  अर्थ : संत कबीरदास जी कहते हैं कि भूख ऐसी कुतिया के समान होती है जो कि ...

अध्याय

×