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कबीर क्षुधा कूकरी, करत भजन में भंग वाकूं टुकड़ा डारि के, सुमिरन करूं सुरंग।। अर्थ : संत कबीरदास जी कहते हैं कि भूख ऐसी कुतिया के समान होती है जो कि ...
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